आसमान को छूना है तो दिल को हल्का कीजिए
आसमान को छूना है तो दिल को हल्का कीजिए
नदी नालाओं की धाराओं से
हमें सीखना है नित आगे बढ़ना
एक छोटी सी चिटियों से सीखों
गिरकर फिर से संभालना।
बोल बोल कर थक गए है संत
समझा समझाकर थक गए है
आसमान को छुने की चाहत है तो
गुस्सा को निकाल,दिल को हल्का कीजिए।
अभिमान और संकीर्ण वातावरण में
शांति की कल्पना भी व्यर्थ है
भारत भुमि ब्रह्म ज्ञान से भरा हुआ है
अपने जीवन को सुखद बना सकते हो।
जुल्मों का पांव अगर आपने काटा तो
दूर हो जायेगी सभी बाधाएं
आसमान को छुने की चाहत है तो
गुस्सा को निकाल, दिल को हल्का कीजिए।
नकारात्मक विचार असफलता की सीढ़ी है
सकारात्मक विचार सफलता की सीढ़ी है
ज्ञान और सत्संग से ही सज्जनों
सुधरती है हमारी विकृति।
मन में ऐसा दीप जलाओ सज्जनों कि
जीवन में फिर नवप्रकाश हो
आसमान को छुने की चाहत है तो
गुस्सा को निकाल, दिल को हल्का कीजिए।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
03-Jun-2024 12:54 PM
👏🏻👌🏻
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RISHITA
02-Jun-2024 03:38 PM
Awesome
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